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سهام بدوي
لا
سعاد
أنا
ولا
مش
طظ
لي
الآن
شيء
هنا
أمي
وأنا
كيف
كنت
لكن
نعم
إنه
سوسو
اللي
لك
أيضًا
إيه
يعني
تقول
كثيرًا
إلا
نادر
فوق
تحت
بكل
لمَ
أنها
دومًا
كده
أبي
لن
أنت
ثورة
ربما
هل
جدًا
أحمد
أبدًا
البيت
الجدران
حاجة
عايز
هكذا
ولم
أنني
Година:
2015
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arabic
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2
القاهرة الجديدة
دار الشروق
نجيب محفوظ
لا
محجوب
وقال
فقال
ولكن
وكان
علي
الشاب
بك
نفسه
ولا
ولم
الإخشيدي
ولكنه
إحسان
إلا
طه
قال
كيف
هل
البك
شيء
إليه
أما
يقول
مأمون
الحياة
أحمد
فلم
يكن
الرجل
إنه
اليوم
بدير
ألا
بيد
جميعا
رضوان
وما
وجهه
الله
نظرة
بلا
بصوت
قائلا
مرة
أجل
الباب
لنفسه
يوما
Език:
arabic
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3
القاهرة الجديدة
دار الشروق
نجيب محفوظ
لا
محجوب
وقال
فقال
ولكن
وكان
علي
الشاب
بك
نفسه
ولا
ولم
الإخشيدي
ولكنه
إحسان
إلا
طه
قال
كيف
هل
البك
شيء
إليه
أما
يقول
مأمون
الحياة
أحمد
فلم
يكن
الرجل
إنه
اليوم
بدير
ألا
بيد
جميعا
رضوان
وما
وجهه
الله
نظرة
بلا
بصوت
قائلا
مرة
أجل
الباب
لنفسه
يوما
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4
القاهرة الجديدة
دار الشروق
نجيب محفوظ
لا
محجوب
وقال
فقال
ولكن
وكان
علي
الشاب
بك
نفسه
ولا
ولم
الإخشيدي
ولكنه
إحسان
إلا
طه
قال
كيف
هل
البك
شيء
إليه
أما
يقول
مأمون
الحياة
أحمد
فلم
يكن
الرجل
إنه
اليوم
بدير
ألا
بيد
جميعا
رضوان
وما
وجهه
الله
نظرة
بلا
بصوت
قائلا
مرة
أجل
الباب
لنفسه
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القاهرة الجديدة
دار الشروق
نجيب محفوظ
لا
محجوب
وقال
فقال
ولكن
وكان
علي
الشاب
بك
نفسه
ولا
ولم
الإخشيدي
ولكنه
إحسان
إلا
طه
قال
كيف
هل
البك
شيء
إليه
أما
يقول
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أحمد
فلم
يكن
الرجل
إنه
اليوم
بدير
ألا
بيد
جميعا
رضوان
وما
وجهه
الله
نظرة
بلا
بصوت
قائلا
مرة
أجل
الباب
لنفسه
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القاهرة الجديدة
دار الشروق
نجيب محفوظ
لا
محجوب
وقال
فقال
ولكن
وكان
علي
الشاب
بك
نفسه
ولا
ولم
الإخشيدي
ولكنه
إحسان
إلا
طه
قال
كيف
هل
البك
شيء
إليه
أما
يقول
مأمون
الحياة
أحمد
فلم
يكن
الرجل
إنه
اليوم
بدير
ألا
بيد
جميعا
رضوان
وما
وجهه
الله
نظرة
بلا
بصوت
قائلا
مرة
أجل
الباب
لنفسه
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القاهرة الجديدة
دار الشروق
نجيب محفوظ
لا
محجوب
وقال
فقال
ولكن
وكان
علي
الشاب
بك
نفسه
ولا
ولم
الإخشيدي
ولكنه
إحسان
إلا
طه
قال
كيف
هل
البك
شيء
إليه
أما
يقول
مأمون
الحياة
أحمد
فلم
يكن
الرجل
إنه
اليوم
بدير
ألا
بيد
جميعا
رضوان
وما
وجهه
الله
نظرة
بلا
بصوت
قائلا
مرة
أجل
الباب
لنفسه
يوما
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8
أضواء حول الأعداد الصادرة من المجلة اليمنية للبحوث
مركز التعاون لخدمات الكمبيوتر
اٌق
اىغٍاء
اىَؽقً
ػي
ط
اىؼي٘
اىْثاذ
اىسضاؼح
ى٘از
العدديالرابع
المجلةةةلياليم
اىٍطظ
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ديسةم
ضقٌ
يةةةليلل
يةةةل
يوالدراسةةةاليالعرا
يوالعشروني
ي2011
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طٍْ
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اىجطٝاُ
ا
تفنو
رااط
غٍاء
ػسز
ػْس
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2009
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9
ڤيتو VETO
دار الفكر العربي
مصطفى الجداوي
أنا
إنتي
شمروخ
وإنتي
ها
اللي
إيه
لا
حمرؤوت
حمار
ولا
الحمار
الحمير
مش
ينظر
لأنا
بس
كده
كوكي
الناس
وأنا
ليه
آه
إنت
الجميع
حاجة
زعرور
هئ
ياللا
مين
نحو
إلا
فجأة
لأ
لما
انت
يرد
يعني
لإنتي
لشمروخ
جنرال
وما
نفسه
بقى
كنت
واحد
يحدث
يقف
العفاريت
عايز
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10
ڤيتو VETO
دار الفكر العربي
مصطفى الجداوي
أنا
إنتي
شمروخ
وإنتي
ها
اللي
إيه
لا
حمرؤوت
حمار
ولا
الحمار
الحمير
مش
ينظر
لأنا
بس
كده
كوكي
الناس
وأنا
ليه
آه
إنت
الجميع
حاجة
زعرور
هئ
ياللا
مين
نحو
إلا
فجأة
لأ
لما
انت
يرد
يعني
لإنتي
لشمروخ
جنرال
وما
نفسه
بقى
كنت
واحد
يحدث
يقف
العفاريت
عايز
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ڤيتو VETO
دار الفكر العربي
مصطفى الجداوي
أنا
إنتي
شمروخ
وإنتي
ها
اللي
إيه
لا
حمرؤوت
حمار
ولا
الحمار
الحمير
مش
ينظر
لأنا
بس
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كوكي
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ليه
آه
إنت
الجميع
حاجة
زعرور
هئ
ياللا
مين
نحو
إلا
فجأة
لأ
لما
انت
يرد
يعني
لإنتي
لشمروخ
جنرال
وما
نفسه
بقى
كنت
واحد
يحدث
يقف
العفاريت
عايز
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ڤيتو VETO
دار الفكر العربي
مصطفى الجداوي
أنا
إنتي
شمروخ
وإنتي
ها
اللي
إيه
لا
حمرؤوت
حمار
ولا
الحمار
الحمير
مش
ينظر
لأنا
بس
كده
كوكي
الناس
وأنا
ليه
آه
إنت
الجميع
حاجة
زعرور
هئ
ياللا
مين
نحو
إلا
فجأة
لأ
لما
انت
يرد
يعني
لإنتي
لشمروخ
جنرال
وما
نفسه
بقى
كنت
واحد
يحدث
يقف
العفاريت
عايز
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